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NAVRATNA (नवरत्न (कुबेर टीला)-21)
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VASHISHTH KUND (वशिष्ठ कुण्ड-22)

पता- वशिष्ठ कुण्ड टेढ़ी बाजार चौराहे से थाना रामजन्मभूमि की ओर जाने वाले मार्ग पर 300 मीटर आगे जाने पर बायीं ओर स्थित है। शिलालेख- शिलालेख वशिष्ठ आश्रम की दीवाल से सटा कर सड़क के किनारे लगा हुआ है। किवदंती- अयोध्या महात्यम के अनुसार वशिष्ठ कुण्ड में श्री वशिष्ठ जी सदा यंहा श्री अरुन्धती जी के साथ कामधेनु की सेवा करते हुए यंहा निवास करते हैं। भादौं शुक्ल पंचमी एवं आषाढ़ी पूर्णिमा को यंहा की वार्षिक यात्रा की जाती है इस दिन यंहा स्नान,दान कर के पूजन करने से ज्ञान एवं सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता- वर्तमान मान्यता अनुसार यंहा गुरुपूर्णिमा को विशाल भंडारे एवं मेले का आयोजन होता है। वर्तमान स्थिति- परमहंस राम मंगल दास के नेतृत्व में सेठ श्री सागर मल जलान जी, श्री राधेश्याम जी एवं अन्य कई लोगों ने मिल के श्री गुरु वशिष्ठ धर्मादाय सार्वजनिक पुनरुद्धार ट्रस्ट बना कर सन 1980 में इस स्थान का जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया। वर्तमान समय में जिस प्रकार से वशिष्ठ कुण्ड का जीर्णोद्धार कर के कुण्ड के पौराणिक महत्व को बचाने का प्रयास हुआ है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ। पूरे चौरासी कोस के क्षेत्र में ऐसा दूसरा कोई उदाहरण नहीं है। इस लुप्त हो चुके कुण्ड को बहुत ही सुंदर ढंग से वशिष्ठ जी की महिमा के अनुरूप एक विशाल वशिष्ठ आश्रम में परिवर्तित कर दिया गया है। मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सर्वप्रथम आचार्य मुद्रा में गुरु वशिष्ठ जी के दर्शन होते हैं। वशिष्ठ जी के दोनों ओर श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न जी की शिष्य भाव में प्रतिमा स्थापित है। इसके ऊपरी तल में वशिष्ठ वाटिका विकसित की गई है। गर्भगृह के बगल से भूतल में उतरती सीढियाँ प्राचीन गर्भगृह तक ले जाती हैं। इस गर्भगृह में गुरु वशिष्ठ, माता अरुन्धती, सरयू जी, महर्षि वामदेव सहित राम दरबार स्थापित है। इसी तल की दीवारों पर ब्रह्मर्षियों के मूर्तियां स्थापित हैं। इसके ठीक बाहर माता अरुन्धती वाटिका स्थापित है। वाटिका में प्रतीकात्मक वृक्षों के बीच चारों ओर दीवारों पर सुंदर चित्रों की श्रृंखला है। इस वाटिका के चारों कोनों पर क्रमशः हनुमान जी,गणेश जी,सरयू जी एवं कामधेनु जी की मूर्तियां स्थापित हैं। इसके मध्य में पौराणिक वशिष्ठ कुण्ड बहुत ही सुंदर ढंग से सहेज के स्थापित किया गया है। वाटिका से उतरने वाली सीढियाँ सीधे कुण्ड में ले जाती हैं।इसी के ऊपरी तल में एक सुंदर यज्ञशाला भी स्थापित है। स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों का कहना है कि जानकारी के अभाव में इतना सुंदर आश्रम होने के बाद भी श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम है। स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत हूँ एवं पर्यटन विभाग को इस स्थान को चिन्हित कर के इसका प्रचार प्रसार करना चाहिए।

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