CHUTKI DEVI (चुटकी देवी-69)
February 1, 2022
DHANAKSHAY KUND (धनक्षय कुण्ड-67)
February 1, 2022

URVASHI KUND (उर्वशी कुण्ड-68)

पता- अयोध्या में स्थित साकेत महाविद्यालय का एक भवन इसी कुण्ड पर बना हुआ है। शिलालेख- साकेत महाविद्यालय में स्थित इलाहबाद बैंक के मुख्य द्वारा के बायीं ओर यह शिलालेख स्थित है। किवदंती- श्री अयोध्या महात्यम के अनुसार योगिनी कुण्ड के पूर्व दिशा में उत्तम उर्वशी कुण्ड स्थित है। मान्यता अनुसार इस कुण्ड पर उर्वशी अप्सरा स्नान कर के शाप मुक्त हुई एवं सुंदर रूप में देवलोक पहुँच गईं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पूर्वकाल में धीर तपस्वी रैम्य मुनि हिमालय के समीप सभी इन्द्रियों को जीतकर आहार त्याग कर तप करने लगे। उस समय मुनि के घोर तप को देखकर देव राज इंद्र भयभीत होने लगे एवं रैम्य मुनि के तप में विघ्न डालने के लिए उर्वशी अप्सरा को मृत्युलोक में उनके पास भेजा। उर्वशी रैम्य मुनि के आश्रम में रहने लगी। आश्रम के समीप वन का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वह आश्रम पृथ्वी पर स्वर्ग के समान सुंदर है। उर्वशी आश्रम में इधर उधर पुष्पों के बीच घूम रही थीं तभी रैम्य मुनि ने उर्वशी को देखा और वह क्रोध से जलने लगे और उर्वशी के तपभंग कारी अनेक छलों को देखकर उसे शाप दिया कि जो तुम अपनी सुंदरता के गर्व में तप में विध्न डालने हेतु इस आश्रम में आई हो अतः शीघ्र ही तुम कुरूप हो जाओ। रैम्य मुनि के शाप देते ही उर्वशी व्याकुल हो उठी और हाथ जोड़कर विनम्रता से मुनि जी से कहा हे मुनि आप मेरे ऊपर प्रसन्न हो जाएं क्योंकि मैं पराधीना हूँ। हे मुनिवर मेरे ऊपर इस शाप से मुक्त होने का मार्ग बताएं। रैम्य मुनि ने उर्वशी से कहा अयोध्या पूरी में तुम्हारे ही नाम का एक विशाल तीर्थ है तुम उसमे स्नान करने में पश्चात पुनः सुंदर रूप को प्राप्त होगी। मान्यता- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यंहा की वार्षिक यात्रा भादों सुदी तीज को होती है। इस दिन यंहा की यात्रा एवं स्नान दान करके जो नर या नारी विष्णु भगवान की आराधना करता है वह विष्णुलोक में निवास करता है। वर्तमान स्थिति- वर्तमान में यह कुण्ड पूर्णतया लुप्त हो गया है। इस कुण्ड पर साकेत महा विद्यालय का एक भवन निर्मित है। इस भवन में एक बैंक संचालित होता है। उसी बैंक के मुख्य द्वारा के दोनों ओर ध्यान से देखने पर आपको गड्ढे एवं नाले नुमा कुण्ड के अवशेष दिखाई देता है। स्वटिप्पणी- यह एक दुर्भाग्य का विषय ही है की अयोध्या के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान द्वारा एक पौराणिक तीर्थ को नष्ट कर दिया गया हो।

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