SHRINGI RISHI (श्रृंगी ऋषि -107)
January 31, 2022MANORMA NADI (मनोरमा नदी -105)
January 31, 2022
पता- यह स्थान बस्ती जिले के अमोढ़ा ग्राम में स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख मंदिर परिसर में सुरक्षित लगा हुआ है।
किवदंती- कहा जाता है कि जब भगवान राम, सीता जी से विवाह कर जनकपुर से अयोध्या लौट रहे थे तो रास्ते में माता सीता को प्यास लगी। आसपास जल का कोई प्रबंधन न देख भगवान राम ने अपने बाण से एक रेखा खींच दी। जिससे जल धारा प्रवाहित होने लगी। माता सीता सहित अन्य लोगों ने इस जलस्त्रोत से अपनी प्यास बुझाई, कुछ देर विश्राम किया और आगे बढ़ गए। इस जलस्त्रोत ने नदी का रूप ले लिया। इसका नाम पड़ा रामरेखा। माना जाता है कि वह स्थान बस्ती जिले का अमोढ़ा गांव था जहां भगवान राम ने बांण से रेखा खींची थी।
मान्यता- वर्तमान समय में रामरेखा धाम की दो प्रमुख मान्यताएं हैं प्रथम मान्यता अनुसार प्रभु श्री राम एवं माता सीता ने जनकपुर से लौटते समय यंहा कुछ समय विश्राम किया था और यह रामजानकी मार्ग पर पड़ने वाले स्थानों में विशेष स्थान है। दूसरी मान्यता अनुसार अयोध्या की चौरासी कोस परिक्रमा रामरेखा मंदिर के समीप मखौड़ा धाम से प्रारंभ होती है और रामरेखा मंदिर इस परिक्रमा का प्रथम पड़ाव माना जाता हैं। स्थानीय पुजारी बताते हैं कि श्रद्धालु यंहा प्रथम रात्रि विश्राम कर के प्रातः काल दूसरे पड़ाव हनुमान बाग चकोही के लिए बढ़ते हैं।
वर्तमान स्थिति- यह मंदिर परिसर बहुत बड़े भू-भाग में फैला हुआ है। परिसर में एक राम जानकी मंदिर, एक शिवाला, दो प्राचीन कुएँ स्थित हैं। प्राचीन मंदिर को गिरा कर नये मंदिर का पुनः निर्माण कुछ वर्षों पूर्व ही कराया गया है। मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य योजना के दो शिलालेख मंदिर परिसर में लगे हुए हैं। जिनके अनुसार एक योजना दिनांक 16/09/2018 को प्रारंभ हुई है जिसकी स्वीकृत लागत 60.91 लाख रुपए थी। दूसरी योजना में मंदिर परिसर तक आने वाली सड़क पर इंटरलाकिंग का कार्य दिनांक 16/09/2018 को कराया गया है। दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन में स्थानीय विधायक अजय सिंह जी का विशेष योगदान माना जाता है। परंतु अनादि काल से क्षेत्र के एक बड़े भू-भाग को सिंचित करने वाली यह मनोरमा नदी अब बदहाल है। स्थानीय लोगों ने इसके प्रवाह क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया है। जगह-जगह पानी का प्रवाह रुक जाने से 17 किलोमीटर लंबी यह नदी समाप्त होने के कगार पर है। अब यह नदी खुद प्यास से तड़प रही है। इसकी न तो कोई पीड़ा सुन रहा है और न ही इसके उद्धार की कोई योजना ही बन रही है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय निवासी प्रिंस सिंह जी बताते हैं की कुछ वर्ष पूर्व तक यह स्थान बदहाली का शिकार था परंतु 2017 में प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद स्थानीय विधायक अजय सिंह जी द्वारा एवं बस्ती लोकसभा के सांसद हरीश द्विवेदी जी द्वारा बड़े पैमाने पर इस स्थान का जीर्णोद्धार कार्य कराया गया। मंदिर परिसर में धर्मशाला एवं एक बड़े विश्राम गृह का निर्माण किया जा रहा है।
स्वटिप्पणी- स्थानीय लोगों से बातचीत कर के यह ज्ञात हुआ कि स्थानीय विधायक इस स्थान के उद्धार के लिए समर्पित हैं। मेरा मानना है इसी कार्य योजना में उन्हें रामरेखा नदी का जीर्णोद्धार कार्य भी शामिल करना चाहिए। क्योंकि नदी की लंबाई बहुत अधिक नहीं मात्र 17 किलोमीटर लम्बी नदी कुछ इच्छा शक्ति से जीवित की जा सकती है।