RAMKOT (रामकोट-9)
February 2, 2022
KAIKEYI BHAWAN (कैकेयी भवन-6)
February 2, 2022

KANAK BHAWAN (कनक भवन-8)

पता- यह स्थान हनुमान गढ़ी मंदिर से रत्न सिंहासन की ओर 200 मीटर आगे जाने पर दाहिनी ओर है।
शिलालेख- यह शिलालेख मंदिर परिसर के बाहर मुख्यद्वार के दक्षिण में एक गुमटी के पीछे लगा हुआ है।
किवदंती- जब जानकी जी विवाह के पश्चात अयोध्या आईं, तो महारानी कैकेयी ने कनक निर्मित अपना महल जानकी जी को प्रथम भेंट स्वरुप प्रदान किया। प्रचलित कथाओं के अनुसार यह भवन सम्पूर्ण अयोध्या क्षेत्र के सबसे भव्य एवं सुन्दर महलों में से एक था। यह पूर्ण रूप से कनक यानि सोने से बना था। इसी कारण इसे कनक भवन कहा जाता रहा है।
मान्यता- कनक भवन मंदिर परिसर में ओरछा राजघराने द्वारा लगवाए गए एक शिलालेख के अनुसार, कनक भवन मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार कार्य किया गया। सर्वप्रथम कनक भवन त्रेतायुग में भगवान श्री राम एवं माता सीता का रहने का सोने से मढ़ा हुआ महल था। द्वापर युग के शुरू में भगवान राम के जेष्ठ पुत्र महाराज कुश ने इसे अपने पिताश्री की स्मृति में पुनः निर्माण कराया। द्वापर युग के मध्य में महाराज ऋषभदेव ने इसे फिर से बनवाया, द्वापर के अंत में भगवान श्रीकृष्ण यहां पधारे थे। कलयुग में सर्वप्रथम महाराज विक्रमादित्य ने इसका निर्माण युधिष्ठिर सम्वत् 2431 में किया, फिर इसका विस्तार एवं मरम्मत महाराज समुद्रगुप्त ने विक्रम सम्वत् 444 में किया। दुर्भाग्यवश विक्रम सम्वत् 1084 में एस. सालारजंग ने इसे ध्वस्त कर दिया। वर्तमान भव्य कनक भवन मंदिर का निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा ओरछा राज्य के नरेश एच. एच. महाराज सवाई महेंद्र सर प्रताप सिंह जू देव, जी.सी.एस.आई., जी.सी.आई.ई. की धर्मपत्नी महारानी वृषभान कुवँर ने विक्रम सम्वत् 1948 (सन 1891), बैशाख सुदी 6, गुरु पुष्य नक्षत्र में करवाया। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान श्री राम एवं माता सीता की 3 जोड़ी मूर्तियां हैं। दर्शनार्थी भक्तों के दाहिने हाथ की तरफ पहली जोड़ी मूर्तियां महारानी वृषभान कुवँर द्वारा स्थापित की गई हैं। दर्शनार्थी के बाएं हाथ की तरफ वाली दूसरी जोड़ी मूर्तियां महाराज विक्रमादित्य के द्वारा स्थापित प्राचीन मंदिर की हैं और इसके नीचे वाली तीसरी जोड़ी मूर्तियां भगवान श्री कृष्ण द्वारा प्रतिष्ठित की गई थीं।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में सम्पूर्ण अयोध्या में इस भवन की स्थिति सबसे बेहतर है एवं यह स्थान श्रद्धालुओं में सर्वाधिक प्रिय भी है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय लोगों का कहना इस स्थान पर प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आती है। जिनकी सुविधाओं हेतु यंहा की व्यवस्थाओं को और बेहतर करने की आवश्यकता है।
स्वटिप्पणी- स्थानीय लोगों की राय से सहमत

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