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RAMKOT (रामकोट-9)
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HANUMAN GARHI (हनुमान गढ़ी-10)

पता- यह स्थान अयोध्या में सर्वज्ञात है शिलालेख- शिलालेख मंदिर के मुख्य द्वार के ठीक सामने सड़क पर स्थित बैरियर के सटा कर लगा हुआ है। किवदंती- पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्री राम ने हनुमान जी को स्वयं अयोध्या का राज्य सौंपा था। हनुमानजी जी रामकोट के मुख्य द्वार के रक्षक भी थे। जिस स्थान पर वह रहते थे आज वहीं अयोध्या हनुमान गढ़ी मंदिर स्थापित है। मंदिर के गर्भगृह में हनुमानजी बाल रूप में माता अंजनी के गोद में विराजमान हैं एवं इनके ठीक पीछे सम्पूर्ण रामदरबार स्थापित है। हनुमानजी की प्रतिमा का रामदरबार के आगे स्थापित होना ही यह जानकारी देता है कि अयोध्या के राजा हनुमान हैं। जो प्रभु श्री राम के आदेशानुसार सदैव अयोध्या में वास करते हैं। मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में बिना हनुमानजी की आज्ञा के कुछ नहीं होता इसी कारण यंहा आने वाले श्रद्धालु सर्व प्रथम हनुमानजी का दर्शन पूजन करते हैं । मान्यता- जैसा कि हम सभी जानते हैं हनुमानजी को मानने वालों में अन्य धर्मों के लोग भी हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मिलता है। मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य में। दसवीं शताब्दी के मध्य में सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। एक बार उसके पुत्र का स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया। अनेक हकीम एवं वैद्य जब कुछ नहीं कर पाए तो मंसूर अली ने हनुमानजी की शरण ली और उसका बच्चा स्वस्थ हो गया। जिससे हनुमानजी में उसकी श्रद्धा इतनी बढ़ गई कि नवाब ने हनुमान गढ़ी का जीर्णोद्धार कराया और हनुमान गढ़ी मंदिर के नाम 52 बीघा जमीन भी दान की एवं ताम्रपत्र में लिखवा कर घोषणा करवाई की इस मंदिर पर और यंहा के चढ़ावे पड़ किसी राजा या शासक का अधिकार नहीं होगा। वर्तमान स्थिति- वर्तमान में हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या के सबसे ऊंचे टीले पर स्थापित है। किले नुमा यह मंदिर बाहर एवं ऊपर से देखने में एक दुर्ग के समान दिखाई पड़ता है। मंदिर में दर्शन के लिए 76 सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर परिसर में लंका विजय के कई साक्ष मौजूद हैं जो समय समय पर होने वाले आयोजनों में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए निकाले जाते हैं। अयोध्या हनुमान गढ़ी मंदिर का संचालन एवं रख रखाव कार्य पंचायती व्यवस्था के रूप में किया जाता है। इस व्यवस्था को कानूनी रूप से रजिस्टर कराया गया है। 27 अगस्त 1963 को इसका रजिस्ट्रेशन हुआ था। इस पूरी प्रक्रिया को निर्विवादित रूप से चलाने के लिए एक नियमावली बनाई गई है। जिसमें 21 धाराओं में विस्तार से इस पंचायती व्यवस्था को चलाने के लिए बताया गया है। इसके अंतर्गत इसमें चार पट्टियाँ हैं। 1- पट्टी बसन्तिया 2- पट्टी उज्जैनियां 3- पट्टी हरद्वारी 4- पट्टी सागरिया इन सभी पट्टीयों में अनेक साधु भी होते हैं। वर्तमान में हनुमान गढ़ी मंदिर निर्मोही आणि अखाड़े की मुख्य छावनी है। स्वटिप्पणी- यंहा स्थित शिलालेख को या शिलालेख के समीप स्थित पुलिस बैरियर को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। क्योंकि बैरियर लगातार शिलालेख को क्षतिग्रस्त कर रहा है।

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