BHARAT KUND (भरत कुण्ड -129)
January 28, 2022PISHACHMOCHAN (पिशाचमोचन -127)
January 28, 2022
पता- यह तीर्थ भरत कुण्ड के दक्षिण तट पर स्थित है।
शिलालेख- यहाँ पर‘एडवर्ड अयोध्या विवेचनी सभा’का जो शिलालेख लगा था। वह खण्डित हो कर इधर उधर हो गया था। उसको खोज कर हमने वेदी के पास रख दिया था, मगर आज भी वह शिलालेख असुरक्षित स्थिति में है। उस शिलालेख को सुरक्षित स्थापित किया जाना चाहिए।
किवदंती- प्राचीन मान्यताओं के अनुसार त्रेताकाल से इस तीर्थ पर पितरो का श्राद्ध-कर्मऔर पिण्डदान किया जाता है। ‘श्री अयोध्या महात्म्य’ के अनुसार श्री राम ने गया नामक तीर्थ का यंही पर आवाहन किया था, तभी से उसी काल की एक वेदी यंहा पर है।
मान्यता- वर्तमान समय में पूर्वी उत्तर प्रदेश मे इस स्थान का महत्व बिहार राज्य में स्थित गया जी के बराबर माना जाता है।आसपास के लोग पितरो के श्राद्ध कर्म और पिण्डदान के लिए यंही आते हैं और बड़ी संख्या में लोग गया जी की यात्रा भी इसी स्थान से प्रारंभ करते हैं। लोक मान्यता के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन यंहा श्राद्ध का विशेष महत्व है।सम्पूर्ण अवध क्षेत्र में तर्पण के लिए‘गया कुण्ड’ की प्रतिष्ठा सर्वोपरि है।
वर्तमान स्थिति- विगत वर्षों में स्थानीय प्रशासन एवं स्थानीय जनों के प्रयास से गया वेदी का जीर्णोद्धार कार्य कराया गया है वर्तमान में वेदी एवं गया कुण्ड की स्थिति बेहतर है। वेदी के पूर्व दिशा में एक श्मशान घाट भी है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों का कहना है की विगत वर्षों में शासन प्रशासन द्वारा भरतकुण्ड तीर्थ क्षेत्र के जीर्णोधार एवं सौन्दरीकरण के लिए कार्य किया जा रहा है। बस इसके बाद इसी प्रकार आगे भी इस तीर्थ क्षेत्र का सरंक्षण एवं रख रखाव इसी प्रकार होता रहे।
स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत