URVASHI KUND (उर्वशी कुण्ड-68)
February 1, 2022
VRIHASPATI KUND (बृहस्पति कुण्ड-66)
February 1, 2022

DHANAKSHAY KUND (धनक्षय कुण्ड-67)

पता- यह कुण्ड टेढ़ी बाजार चौराहे से कटरा की ओर जाने वाले मार्ग पर लगभग 300 मीटर आगे जाने पर बायीं ओर स्थित है। शिलालेख- शिलालेख सड़क के किनारे बायीं ओर लगा है। किवदंती- यह कुण्ड महाराज हरिश्चन्द्र के राज्य काल से है। पौराणिक ग्रंथों एवं अयोध्या महात्यम के अनुसार 'धनयक्ष कुण्ड' कलियुग में अपने महत्व का पुर्ण प्रमाण देने वाला है। इस कुण्ड को विशेष रूप से विश्वामित्र जी का वरदान प्राप्त है। यह प्रत्यक्ष प्रत्ययकारक अर्थात जिसमें स्नान करने मात्र से मनुष्य के शरीरजात पसीने में होने वाली दुर्गंध से तत्काल मुक्ति मिलती है। इस स्थान पर नव निधियों का पूजन करना चाहिए। पद्म निधि,महापद्म निधि,शंख निधि,मकर निधि,कच्छप निधि,मुकुंद निधि,नन्द निधि,नील निधि,खर्व निधि ये नव-निधियां हैं। कुण्ड जल में विधिपूर्वक नव-निधियों का एवं श्री लक्ष्मी जी का पूजन,स्नान, दान,तर्पण, और गुप्तदान करने पर दरिद्रता का नाश होता है। इस कुण्ड पर स्नान कर के 'ॐ नमः प्रमन्थराय' मन्त्र से पूजन करना चाहिए। मान्यता- स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यंहा मकरसंक्रांति एवं गुरु पूर्णिमा का मेला लगता था, मगर वह अब समाप्त हो चुका है। आज भी लोग यंहा बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए आते हैं। वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में कुण्ड पर चारों ओर से अतिक्रमण किया जा रहा है। लोग कुण्ड को पाट कर खेत बना रहे हैं और उसे आवासीय प्लाट बनाकर बेच रहे हैं। बचे हुए कुण्ड में आसपास का गंदा पानी नालियों के द्वारा लाकर इसी कुण्ड में लाकर गिराया जा रहा है। कुण्ड में जलकुंभियों का अंबार है एवं आस पास के सुअर इसी कुण्ड में दिन भर पड़े रहते हैं। स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय निवासी राजाबाबू बतातें हैं पहले यह कुण्ड बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था मगर धीरे धीरे लोगों ने इसे पटना शुरू किया और आज कुण्ड का कुछ ही भाग बचा है। स्थानीय निवासी आशा देवी कहती हैं कुण्ड की यह दशा और इतनी गंदगी देखकर दुख होता है। सरकार को इसके जीर्णोद्धार के लिए कुछ करना चाहिए। स्वटिप्पणी- शासन प्रशासन द्वारा कुण्ड के अस्तित्व को बचाने हेतु कार्य किया जाना चाहिए।





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