Parashar Ashram (पराशर आश्रम -143)
January 28, 2022
TRINDILASHRAM (त्रिन्दिल जी -141)
January 28, 2022

AGASTYA JI (अगस्त्य जी -142)

पता- यह तीर्थ क्षेत्र गोण्डा जिले में परसपुर के समीप भौरीगंज बाजार से 2 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में सरैयां ग्रामसभा में स्थित है। शिलालेख- तीनों शिलालेख जंबूतीर्थ क्षेत्र में लगे हुए हैं। किवदंती- यह चौरासी कोसी परिक्रमा का विश्राम स्थल भी है। वाराह क्षेत्र से इसकी दूरी लगभग आठ कोस मानी जाती है। इस तीर्थ में तीन स्थान समाहित हैं। जंबूतीर्थ, ऋषि अगस्त्य और तुंदिल आश्रम। यहां एक प्राचीन श्री राम का मंदिर है। इसके साथ ही हनुमान मंदिर है। तीनों तीर्थो के स्थान में थोड़ी ही दूरी है। तुंदिल नामक ब्राह्मण को यहां तपस्या के फलस्वरूप रोगमुक्ति हुई थी। इसके बाद तुंदिल आश्रम चर्चा में आया। जंबू तीर्थ महात्म को लेकर यहां के लोग बताते हैं, बहुत समय पहले देव शर्मा नामक ब्राह्मण को यहां तपस्या के दौरान जंबूक (सियार) का दर्शन हुआ और वह सियार देखते-देखते दिव्य देहाधारी हो गया। इसीलिए इसे जंबूतीर्थ के नाम से जाना गया। मान्यता- वर्तमान समय में यंहा अयोध्या के चौरासी कोस परिक्रमा का पंद्रहवें दिन का रात्रि विश्राम होता है। स्थानीय जनों द्वारा बड़े पैमाने पर परिक्रमार्थियों का सेवा कार्य किया जाता है। इस स्थान पर प्रत्येक वर्ष मुख्यता तीन मेले लगते हैं- कार्तिक मास की नौमी को, वैसाख अमावस्या को एवं जिस दिन यंहा चौरासी कोस परिक्रमा के परिक्रमार्थियों का जत्था पहुंचता है उस दिन एवं प्रत्येक वर्ष गँगा दशहरा एवं गुरु पूर्णिमा के दिन यंहा विशाल भंडारा किया जाता है। वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में यंहा का सबसे प्राचीन रामजानकी मंदिर गिर चुका है। जो जंबूतीर्थ शिलालेख के बगल था। मंदिर की सभी प्रतिमाएं बगल के हनुमान मंदिर में सुरक्षित रखी हुई हैं। यंहा के मुख्य पुजारी मोहनदास जी बताते हैं कि शीघ्र ही नवीन मंदिर का निर्माण प्रारंभ होगा। इस मंदिर का निर्माण मार्च 2020 में प्रारंभ होना था, परंतु कोरोना महामारी के कारण विलम्ब हो गया। यह क्षेत्र लगभग 27 बीघे में फैला है। मंदिर परिसर से सट कर सरयू जी बहती हैं। जंहा स्थानीय जन नित्य स्नान के लिए हैं। स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों का कहना है कि यह स्थान चौरासी कोस क्षेत्र के मुख्य स्थानों में से एक है। परिक्रमा में आने वाले जनों को यंहा रात्रि विश्राम में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय जनों द्वारा उनका सेवा कार्य तो किया जाता है, परंतु उनके ठहरने के लिए ढंग का एक टीन शेड की व्यवस्था भी नहीं है। शासन प्रशासन को शीघ्र इस स्थान का जीर्णोद्धार करना चाहिए। स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत एवं इस स्थान को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए एक सड़क का निर्माण भी होना चाहिए।

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