TRIPURARIJI (त्रिपुरारी जी -110)
January 31, 2022VALMIKI TIRTH (वाल्मीकि जी -108)
January 31, 2022
पता-यह स्थान अयोध्या से पूराबाजार की ओर जाने पर पूरा बाजार से 200 मीटर पहले बायीं ओर जाने वाली सड़क पर 500 मीटर अंदर जाने पर स्थापित है।
शिलालेख-शिलालेख मंदिर के बगल सुरक्षित लगा हुआ है।
किवदंती- अयोध्या महात्म्य के अनुसार विल्वहरि जी का स्थान ही वो स्थान है जंहा चक्रवर्ती सम्राट दशरथ जी का दाह संस्कार हुआ था। तत्कालीन अयोध्या का श्मशानघाट यंही था।
मान्यता-एक और कथा के अनुसार एक विषयासक्त गन्धर्व श्री नारद मुनि के शाप से विल्वरूप प्राप्त हुआ। पुनः श्री नारद के अनुग्रह से अयोध्या में सरयू तीर पर निवास करने लगा। भगवान् श्री राम के अवतार के पश्चात उनका दर्शन प्राप्तकर वह शापमुक्त होकर चतुर्भुज रूप धारण कर विमान द्वारा परमधाम को गया। उसीने अपने नाम के आगे हरि जोड़कर यंहा भगवान् की स्थापना की जिससे यह स्थान विल्वहरि नाम से प्रसिद्ध हुआ। जैसा की आप ने पढ़ा की वह विल्व चतुर्भुज रूप को प्राप्त हुआ था और आज भी विल्वहरि मंदिर में स्थापित शिवलिंग चतुर्भुज रूप में है।
वर्तमान स्थिति-वर्तमान में इस स्थान पर राजा दशरथ की समाधि का बहुत बेहतर ढंग से पुनः निर्माण करवाया गया है। स्थानीय लोग यंहा नियमित रूप से दर्शन पूजन के लिए आते हैं। स्थान की स्थिति बहुत बेहतर है।
स्थानीय लोगों की राय-स्थानीय निवासी अजय सिंह जी कहते हैं की हर वर्ष विल्वहरि जी के स्थान पर विशाल मेले का आयोजन होता रहा है। मगर धीरे-धीरे इस आयोजन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।जिसके लिए लोगों को इस स्थान और मेले के विषय में जागरूक करने की आवश्यकता है।
स्वटिप्पणी-मैं अजय जी के राय से सहमत हूँ।