SAGAR KUND (सागर कुण्ड-24)
February 2, 2022
VASHISHTH KUND (वशिष्ठ कुण्ड-22)
February 2, 2022

VAMADEVAJI (वामदेव-23)

शिलालेख- शिलालेख मंदिर के बायीं ओर लगा हुआ है। पता- यह स्थान टेढ़ी बाजार से थाना रामजन्मभूमि की ओर जाने पर वशिष्ट कुण्ड के ठीक पीछे परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। किवदंती- वामदेव जी राजा दशरथ के 8 पुरोहितों में से एक थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वशिष्ठ जी के समकालीन थे। वामदेव जी ने इस देश को सामगान अर्थात संगीत दिया है। वामदेव जी ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तद्रष्टा हैं,इस मण्डल में कुल 589 मन्त्र हैं उनमें 514 मन्त्रों द्रष्टा वामदेव जी हैं। श्री रामचरितमानस में लगभग 7 स्थानों पर महर्षि वामदेव का नाम आया है। इसके साथ विशेषता यह भी है कि जंहा जंहा इनका नाम आया है अन्य ऋषियों से प्रथम आया है।वामदेव जी गौतम ऋषि के पुत्र तथा जन्मत्रयी के तत्ववेत्ता माने जाते हैं। भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र सामवेद से ही प्रेरित है। हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए सामवेद में संगीत और वाद्य यंत्रों की संपूर्ण जानकारी मिलती है। मान्यता- वामदेव जब मां के गर्भ में थे तभी से उन्हें अपने पूर्वजन्म आदि का ज्ञान हो गया था। उन्होंने सोचा, मां की योनि से तो सभी जन्म लेते हैं और यह कष्टकर है, अत: मां का पेट फाड़ कर बाहर निकलना चाहिए। वामदेव की मां को इसका आभास हो गया। अत: उसने अपने जीवन को संकट में पड़ा जानकर देवी अदिति से रक्षा की कामना की। तब वामदेव ने इंद्र को अपने समस्त ज्ञान का परिचय देकर योग से श्येन पक्षी का रूप धारण किया तथा अपनी माता के उदर से बिना कष्ट दिए बाहर निकल आए। वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में महर्षि वामदेव जी का प्राचीन मंदिर पूर्ण रूप से समाप्त हो चुका है। मंदिर के पुजारी सुरेश दास जी बताते हैं वर्ष 2015 में जब वह इस स्थान पर आए तो यह स्थान पूर्णतया नष्ट हो चुका था, तब उन्होंने हरिद्वार के एक चतुर्वेदी परिवार के सहयोग से इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। मंदिर के गर्भ गृह में मुख्य रूप से वामदेव जी एवं लक्ष्मण जी की पत्नी माता उर्मिला जी एवं रामजानकी जी विराजमान हैं, एवं मंदिर के बाहर बायीं ओर एक कूप (कुआँ) जिसे वामदेव कूप भी कहा जाता है स्थित है। यह कूप अन्य कूपों से भिन्न चौकोर है। कूप के सामने दीवाल में बने एक ताखे में प्राचीन मंदिर एवं प्रतिमाओं के खण्डित अवशेष रखें हुए हैं स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों का कहना है कि इतना सिद्ध स्थान होने के बावजूद स्थान की यह स्थिति चिंता का विषय है। प्रशासन को शीघ्र ही उचित कदम उठा कर इसके सुन्दरीकरण एवं रख रखाव की व्यवस्था करनी चाहिए। स्वटिप्पणी- यह स्थान परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। प्रत्येक वर्ष लाखों जन परिक्रमा में आते हैं। इसलिए इन स्थानों का शीघ्र जीर्णोद्धार कराया जाना चाहिए।

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