VILWA HARIJI (बिल्वहरि -109)
January 31, 2022SHRINGI RISHI (श्रृंगी ऋषि -107)
January 31, 2022
पता- अयोध्या अम्बेडकर नगर मार्ग पर पूराबाजार से दिलासीगंज की ओर जाने वाले मार्ग पर लगभग 15 किलोमीटर पर बबुआपुर ग्राम सभा के गोपालपुर मांझा क्षेत्र में सरयू तट पर यह स्थान स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख मंदिर परिसर में एक वट वृक्ष के नीचे लगा हुआ है।
किवदंती- मंदिर की पुजारी प्रेमादासी जी बताती हैं कि यह महर्षि वाल्मीकि जी का आश्रम है। मंदिर किसने बनवाया किसी को पता नहीं। कहती हैं कि इसी आश्रम में लवकुश का जन्म हुआ था। रामायण काल में माता सीता यहीं पर रहती थीं।
मान्यता- यहां साल में दो बार श्रीमद् भागवद् कथा और भंडारा होता है। नदी की धारा यहां से दूर हो गई है। मानपारा गांव के रहने वाले भक्त रामनयन उपाध्याय कहते हैं कि यह महर्षि वाल्मीकि की तपस्थली है। रुद्रयामल ग्रंथ के अयोध्या महात्म्य में एक प्रमुख तीर्थ के रूप में वाल्मीकि आश्रम को बताया गया है।
वर्तमान स्थिति- मंदिर में वाल्मीकि जी और हनुमान जी की मूर्तियां लगी हैं। यह मंदिर किसने बनवाया, यह किसी को पता नहीं है। थोड़ी दूर पर एक कुआं झाडिय़ों से घिरा है। यहां की विशेषता है कि मंदिर के पुजारी केवल महिला ही होती है। मंदिर की पुजारी प्रेमादासी जी बताती हैं कि मंदिर की पुजारिन अपनी शिष्याओं में से किसी एक को उत्तराधिकारी बनाती हैं।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय निवासी अंकित सिंह जी एवं रवि प्रताप सिंह बताते हैं कि यह स्थान बहुत ही सिद्ध है, परंतु मुख्य मार्ग से अंदर होने के कारण यह सदैव उपेक्षित रहा है। अयोध्या चौरासी कोस के क्षेत्र में पड़ने वाले तीर्थों में यह भी एक मुख्य तीर्थ है। मंदिर परिसर बहुत बड़े भू-भाग में फैला हुआ है। उनका कहना है कि कल को कोई इस भू-भाग का दुरुपयोग करे उससे पहले प्रशासन को इस स्थान का जीर्णोद्धार करवाना चाहिए।
स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत हूँ।