ASHOKA VATIKA (अशोकवाटिका-51)
February 1, 2022YAGYA VEDI (यज्ञवेदी-49)
February 1, 2022
पता- यह स्थान सीताकुण्ड से पूर्व की ओर जाने पर लगभग 200 मीटर पर स्थित है।
शिलालेख- यह शिलालेख स्थापना समय पर तिलोदकी नदी के किनारे लगा हुआ था,मगर भू माफियाओं द्वारा इस नदी को पाट कर अवासीय कालोनियों में बदल दिया गया और शिलालेख को मिट्टी में दबा दिया गया था,अत्याधिक प्रयास के बाद हमने इस शिलालेख को खोज कर कुछ लोगों की सहायता से इसे पुनः एक बैर के वृक्ष के नीचे स्थापित कर दिया है।
किवदंती- श्री आयोध्या महात्म्य के अनुसार सिन्धु देश के घोड़ों के जल पीने के हेतु अपने राज्य में दूसरी सिन्धु नदी के समान इस तिलोदकी नदी का निर्माण करके स्वयं श्री राम चन्द्र जी ने स्थापित किया था। तिल के समान श्याम वर्ण जल के कारण इस नदी का नाम तिलोदकी गंगा एवं तिलई पड़ा। यंहा की वार्षिक यात्रा भादों की अमावस्या के दिन की जाती है।
मान्यता- लोक मान्यता में कहीं-कहीं इस नदी को तिलोदकी गंगा या तिलई गंगा कहा जाता है। जिसकी पुष्टि अयोध्या महात्म्य में भी की गयी है। स्कन्द पुराण में इस नदी के संदर्भ में लिखा गया है..
रामेण निर्मिता पूर्व नदी सिन्धुरिवापरा।
सिन्धुजानां तुरंगानां जलपानयि सुबते।।
तिलवत श्याममुदकं यतस्तस्या: सदाबभौ।
तिलोदकीति साख्याता पुण्यतोया सदानदी।।
इसी क्रम में अयोध्या के प्रसिद्ध सन्त स्व. रामकुमार दास जी रामायणी जी द्वारा लिखी गई पुस्तक'रत्नाचल का इतिहास' में तिलोदकी नदी का वर्णन मिलता है। अयोध्यापुरी के अन्तर्गत अयोध्या क्षेत्र में ही सरयू से मिलने वाली सभी चार नदियों में तिलोदकी सबसे छोटी नदी है। इस नदी की विशेषता यह भी है की जब श्री राघवेन्द्र सरकार की झूलन लीला प्रारम्भ होती है और जब तक श्री सीताराम युगल सरकार दो महीने तक झूलन-विहार का आनंद लेते हैं तभी तय तिलोदकी प्रवाहित रहती हैं,और जब प्रभु अन्य लीलाओं हेतु यंहा से चले जाते हैं तब यह उनके वियोग में सूख जाती है।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान में इस नदी को पाट कर इसके भू-भाग पर खेती की जा रही और एक बड़े हिस्से में भू माफियाओं द्वारा अवासीय कालोनियों का निर्माण करवा दिया गया है। अयोध्या वासियों के लिए ये दुर्भाग्य का विषय है की यह पौराणिक नदी तिलोदकी के नाम से जानी जाती थी, जिसे आज तिलई नाला कहा जाता है। आज भी मोहबरा बाजार के पास नदी का अस्तित्व दिखता है,परंतु अब इसमें नाली का गंदा पानी गिराया जाता है।
स्थानीय लोगों की राय- जिन स्थानीय लोगों ने इस भू भाग पर जमीन खरीदी है उसमें आधे से अधिक लोगों को इस स्थान के विषय कोई जानकारी नहीं है। आसपास के लोगों का कहना है हमारे आँखों के सामने इस नदी का अस्तित्व मिट जाना बहुत दुखद है। प्रशासन को इस पर कार्यवाही कर के अवैध रूप से बसे लोगों को हटा कर। तिलोदकी
नदी को पुनः जीवित किया जाना चाहिए।
स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत