KSHIRSAGAR (क्षीर सागर-14)
February 2, 2022DANTDHAAVAN KUND (दंतधावन कुण्ड-12)
February 2, 2022
पता- यह मंदिर अयोध्या हनुमान गढ़ी के ठीक पीछे एवं बिरला मंदिर के ठीक सामने स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख मंदिर के मुख्य द्वार से सटा कर सुरक्षित लगा हुआ है।
किवदंती- अयोध्या महात्यम के अनुसार रामकोट के मुख्य द्वार पर हनुमान जी विराजते हैं। हनुमान जी के दक्षिण में श्री सुग्रीव जी का किला है। पौराणिक कथानक के अनुसार इस स्थान पर दर्शन मात्र से दर्शन करने वाले व्यक्ति के शत्रुओं का नाश होता है।
मान्यता- मान्यताओं के अनुसार जब प्रभु श्री राम 14 वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या से प्रस्थान कर रहे थे। तो उन्होंने महाराज भरत को इस स्थान पर रखें आभूषण हीरे जवाहरात और मणियों की रक्षा करने के लिए कहा था। 14 वर्षों के उपरांत जब प्रभु श्री राम अयोध्या वापस लौटे तो महाराज भरत ने मणियों से निर्मित एक किला प्रभु श्रीराम के स्वागत के लिए बनवाया था। उस किले को देख कर प्रभु श्री राम अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने भरत जी से कहा कि लंका विजय में मेरे साथ आये महाराज सुग्रीव का भी बराबर योगदान था। जिसके बाद प्रभु श्री राम ने इस किले को महाराज सुग्रीव को उपहार स्वरूप भेंट किया। जिसके बाद यह किला सुग्रीव किला नाम से जाना जाने लगा।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में यह किला भारत सरकार की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक में आता है। मंदिर के गर्भ गृह में प्रभु श्री राम, माता सीता तथा लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ सुग्रीव जी की भी पूजा होती है।
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