VALMIKI TIRTH (वाल्मीकि जी -108)
January 31, 2022RAMREKHA (रामरेखा -106)
January 31, 2022
पता- अयोध्या-अम्बेडकर नगर मार्ग पर मया बाजार से टांडा की ओर लगभग छह किलोमीटर चलने पर बायीं ओर शेरवा घाट को जाने वाली सड़क पर लगभग दो किलोमीटर चलने पर सरयू नदी के तट पर यह आश्रम स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख आश्रम के मध्य में सुरक्षित स्थिति में लगा हुआ है।
किवदंती- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रृंगी ऋषि ने ही अयोध्या के अधिपति राजा दशरथ को सन्तान प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया था। उसी यज्ञ के पश्चात राजा दशरथ जी को राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न जैसे चार श्रेष्ठ एवं योग्य पुत्र प्राप्त हुए। यह आश्रम उन्ही मुनि की तपोस्थली के रूप में जानी जाती है।
मान्यता- अयोध्या चौरासी कोस की परिक्रमा में यह स्थान एक प्रमुख तीर्थ के रूप में गिना जाता है। जब श्रद्धालु चौरासी कोसी परिक्रमा प्रारम्भ करते हैं। तो उनका तीसरे दिन का पडाव इसी स्थान पर होता है। स्थानीय जनों से बातचीत के आधार पर ज्ञात हुआ, पूर्व की मान्यता अनुसार यंहा लोग मुख्यता पुत्र प्राप्ति हेतु दर्शन पूजन करने आते हैं।यंहा के स्थानीय जन आपने किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले यंहा आकर दर्शन पूजन अवश्य करते हैं। मन्दिर परिसर सरयू तट पर होने साथ साथ बहुत सुन्दर एवं शांत भी इसी कारण यंहा साधू संत साधना एवं ध्यान हेतु यंहा पधारते हैं।
वर्तमान स्थिति- यह आश्रम सरयू तट पर एक विशाल परिसर में फैला है। इस आश्रम का पुनः निर्माण कार्य सन 1985 ई. में प्रारम्भ हुआ।यंहा एक गुफा में श्रृंगी ऋषि की समाधी है, जो देवी पिण्डों की तरह उभरे हुए आकार में निर्मित है और इसी के साथ में एक और गुफा है जिस के अन्दर माँ शान्ता की समाधि विधमान है। इन्ही दोनों गुफाओं को मंदिर का प्रारुप दिया गया है। मंदिर परिसर में प्राचीन शिव मंदिर भी स्थापित है। इस मंदिर के गर्भ में एक दिव्य शिवलिंग मनोहारी रूप में विधमान है। वर्त्तमान में यंहा के पुजारी ऋषि प्रसाद गोस्वामी जी हैं।
स्थानीय लोगों की राय- आश्रम के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है।