MAIND (मैन्द-41)
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DWIVIDAJI (द्विविद जी-39)
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SAPTASAGAR (सप्तसागर-40)

पता- सप्तसागर कुण्ड मत्तगजेंद्र जी के ठीक सामने 250 मीटर पर दाहिनी ओर स्थित है। शिलालेख- शिलालेख को भूमाफियाओं द्वारा गायब कर दिया गया है। किवदंती- अयोध्या महात्यम के अनुसार अयोध्या में सम्पूर्ण अर्थ सिद्धिप्रद परम-पवित्र सप्तसागर तीर्थ है। यंहा विधि पूर्वक स्नान करने से धर्म-प्रिय प्राणियों की सारी कामनायें पूर्ण होती हैं। इस तीर्थ की वार्षिक यात्रा आश्विन पूर्णिमा को की जाती है। यहां पितरों का तर्पण श्राद्ध एवं दान करना फलप्रद माना गया है। मान्यता- मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक के लिए सातों सागर से लाये गए जल को इसी कुण्ड में रखा गया था, इसीलिए इसे सप्तसागर कहा जाने लगा। वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में कुछ स्थानीय भू-माफियाओं द्वारा सप्तसागर को पाट कर आवासीय कालोनी बना दिया गया है। कालोनी का नाम भी सप्तसागर रखा गया है। स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय निवासी अंजनी गर्ग जी बताते हैं। उनके बाल्यकाल में सप्तसागर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था। इसके शिलालेख को कई बार भू माफियाओं से बचाने का प्रयास किया गया मगर बाद में शिलालेख को गायब कर के सप्तसागर को पाट दिया गया। स्वटिप्पणी- शासन प्रशासन द्वारा सप्तसागर को पाटने वाले भू माफियाओं के खिलाफ जांच करवानी चाहिए और उन्हें कठोर से कठोर दंड देकर सप्तसागर का अतिक्रमण हटाने का काम शुरू करना चाहिए।

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