GHRITACHI KUND
January 28, 2022ASTIKASHRAM (आस्तीक जी 135)
January 28, 2022
पता- यह स्थान सोहावल से दक्षिण दिशा में लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर पण्डितपुर ग्राम में स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख एक विद्यालय के कक्ष में असुरक्षित स्थिति में लगा हुआ है।
किवदंती- ऋषि रमणक के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं होती लेकिन रुद्रायमल ग्रंथ के अयोध्या महात्म्य में वर्णित है कि रमणक स्थान के दर्शन से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। लोक मान्यता है कि ऋषि की तपस्या से ही तिलोदकी गंगा (त्रिलोचना) नदी का आविर्भाव हुआ। तिलोदकी का उद्गम स्थल और ऋषि रमणक की तपस्थली सोहावल बाजार से तीन किलोमीटर दक्षिण पंडितपुर गांव के पास स्थित है। यहीं तिलोदकी गंगा का उद्गम स्थल माना जाता है। यह नदी जिले के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए अयोध्या स्थित यज्ञवेदी के पूरब सरयू से संगम करती थी।
मान्यता- पंडितपुर और यज्ञवेदी पर भादौ मास की अमावस्या तिथि पर आज भी मेला लगता है। इस तिथि को कुशोदपाटिनी अमावस्या भी कहते हैं। इस तिथि पर अभी कुछ वर्षों पूर्व तक तिलोदकी के घाटों पर लोग स्नान-दान करके पुण्य लाभ अर्जित करते थे। यहां पर एक नवीन देवी मंदिर का निर्माण भी हुआ है।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में इस स्थान पर एक विद्यालय संचालित हो रहा था परंतु स्थानीय जनों से पता चला की भूमि विवाद होने के कारण विद्यालय अभी बन्द है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों को इस स्थान के विषय में कोई जानकारी नहीं है।
स्वटिप्पणी- सर्वप्रथम प्रशासन द्वारा इस शिलालेख को सुरक्षित किया जाना चाहिए। उसके बाद इस स्थान को अतिक्रमण से मुक्त करवाना चाहिए।