Kshireshwar Nath
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Antargrahi Parikrama
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Shri Nageshwarnath

The presiding deity of Ayodhya is Lord Nageshwarnathji. It is believed that Lord Ram’s son, Kush, built the beautiful temple dedicated to him. The shivalinga ensconced here is said to be quite ancient.

As per folklore, Kush was taking a bath in the Saryu River when his armlet fell in the water. After sometime, a nag kanya (snake woman) appeared and returned it to him. They fell in love with each other and Kush got the temple structured for her.

Being one of the most important and venerated temples in Ayodhya, it attracts large crowds of devotees from all over during the festival of Mahashivaratri. The present edifice of the temple was constructed in 1750 AD.

पता- यह स्थान राम की पैडी ठीक बगल पश्चिम दिशा में स्थित है।

किवदंती- नागेश्वर नाथ मंदिर के स्थापना के सम्बन्ध में कथा प्रचलित है कि एक दिन जब महाराजा कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे,to उनके हाथ का कंगन जल में गिर गया, जिसे नाग-कन्या उठा ले गयी। बहुत खोजने के बाद भी जब महाराज को कंगन प्राप्त नहीं हुआ। तब कुपित होकर उन्होंने जल को सुखा देने की इच्छा से अग्निशर का संधान किया, जिसके परिणामस्वरुप जल-जन्तु व्याकुल होने लगे। तब नागराज ने स्वयं वह कंगन लाकर महाराजा कुश को सादर भेंट किया तथा उनसे अपनी पुत्री से विवाह का अनुरोध किया। महाराजा कुश ने नाग-कन्या से विवाह करके उस घटना की स्मृति में उस स्थान पर नागेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना की। उसी स्थान पर आज एक विशाल शिव मंदिर स्थित है।

मान्यता- नागेश्वरनाथ जी द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है।इस मंदिर की स्थापना प्रभु श्री रामचन्द्र जी के पुत्र महाराजा कुश द्वारा किया गया।

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