DHARMAHARI (धर्महरि-82)
January 31, 2022CHANDRAHARI (चन्द्रहरि-80)
January 31, 2022
शिलालेख- यह शिलालेख मंदिर के मुख्य द्वार के ठीक सामने की तरफ लगा हुआ है यह शिलालेख दीवाल के अंदर चुना हुआ है और बहुत गंदा हो गया है। जिस कारण इसे देख पाना बहुत कठिन है बहुत प्रयास के बाद मै इसे खोज पाया।
पता- यह स्थान राम की पैडी ठीक बगल पश्चिम दिशा में स्थित है।
किवदंती- नागेश्वर नाथ मंदिर के स्थापना के सम्बन्ध में कथा प्रचलित है कि एक दिन जब महाराजा कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे,to उनके हाथ का कंगन जल में गिर गया, जिसे नाग-कन्या उठा ले गयी। बहुत खोजने के बाद भी जब महाराज को कंगन प्राप्त नहीं हुआ। तब कुपित होकर उन्होंने जल को सुखा देने की इच्छा से अग्निशर का संधान किया, जिसके परिणामस्वरुप जल-जन्तु व्याकुल होने लगे। तब नागराज ने स्वयं वह कंगन लाकर महाराजा कुश को सादर भेंट किया तथा उनसे अपनी पुत्री से विवाह का अनुरोध किया। महाराजा कुश ने नाग-कन्या से विवाह करके उस घटना की स्मृति में उस स्थान पर नागेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना की। उसी स्थान पर आज एक विशाल शिव मंदिर स्थित है।
मान्यता- नागेश्वरनाथ जी द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है।इस मंदिर की स्थापना प्रभु श्री रामचन्द्र जी के पुत्र महाराजा कुश द्वारा किया गया।
वर्तमान स्थिति- वर्त्तमान समय में इस स्थान के महन्त------------ जी हैं और मंदिर की स्थिति बहुत बेहतर है।
स्वटिप्पणी- इस स्थान के महत्व के अनुरूप यंहा पर साफ सफाई का आभाव दिखता है। पूर्व प्रचलित कथाओं में राम की पैड़ी में स्नान करने के साथ नागेश्वरनाथ मंदिर के मुख्य द्वारा का दर्शन होता था। वर्तमान में मंदिर के ठीक सामने कुछ छोटे भवन का निर्माण होने के कारण मंदिर छुप सा गया है। मंदिर की दिव्यता को बनाये रखने हेतु हम सभी को सहयोग करना चाहिए।