RAMREKHA (रामरेखा -106)
January 31, 2022MAKHSTHAN (मखस्थान -104)
January 31, 2022
पता- यह शिलालेख भी मखौड़ा धाम में स्थित है और मनोरमा नदी इसी धाम के बगल से बहती है। मगर मनोरमा नदी का उद्गम स्थल गोंडा जिला मुख्यालय से 19 किमी की दूरी पर इटियाथोक नामक जगह पर है। यहां उद्दालक ऋषि का आश्रम मनोरमा मंदिर तथा तिर्रे नामक एक विशाल सरोवर है जहाँ से मनोरमा नदी निकलती है।
किवदंती- मखौड़ा ही वह स्थल है, जहां गुरु वशिष्ठ की सलाह तथा श्रृंगी ऋषि की मदद से राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया था जिससे उन्हें राम आदि 4 पुत्र पैदा हुए थे। उस समय मखौड़ा के आसपास कोई नदी नहीं थी। यज्ञ के समय मनोरमा नदी का अवतरण कराया गया था। उद्दालक ऋषि द्वारा यज्ञ का अनुष्ठान करके सरस्वती नदी को मनोरमा के रूप में यहीं प्रकट किया गया था। तिर्रे तालाब के पास उन्होंने अपने नख से एक रेखा खींचकर गंगा का आह्वान किया तो गंगा, सरस्वती (मनोरमा) नदी के रूप में अवतरित हुई थीं।
मान्यता- यह नदी मनोरमा एवं मनवर नाम से जानी जाती है। इसके नाम के बारे में यह जनश्रुति है कि जहां मन रमे, वहीं मनोरमा होता है। जहां मन का मांगा वर मिले उसे ही 'मनवर' कहा जाता है। मनोरमा नदी की पवित्र धारा मखौड़ा धाम से बहते हुए आगे तक जाती है।इटियाथोक के पास स्थित उद्दालक के आश्रम के पास एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जहां विशाल संख्या में श्रद्धालु पवित्र सरोवर तथा नदी में स्नान करते हैं तथा सैकड़ों दुकानें 2 दिन पहले से ही सज जाती हैं।
वर्तमान स्थिति- इस नदी की महत्ता को दर्शाने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार केके पूर्व कैबिनेट मंत्री राज किशोर सिंह जी ने जिनका यह चुनाव क्षेत्र भी है, उनके नेतृत्व में मनोरमा महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है। यह उत्सव हर्रैया तहसील परिसर में सर्दियों में मनाया जाता है। इस आयोजन में केवल शिवाला घाट की सफाई हो पाती है तथा अन्य घाट व नदी पहले जैसी ही सूखी तथा रोती हुई ही दिखाई देती हैं।
स्थानीय लोगों की राय- यदि दोनों तहसीलों के राजस्व अधिकारियों तथा नदी के दोनों तरफ स्थित प्रधान व पंचायत अधिकारियों की मीटिंग व कार्यशाला आयोजित की जाए तो अपेक्षाकृत अधिक कामयाबी मिलेगी। यद्यपि मनवर की महत्ता विषयक कुछ वार्ताएं तो की जाएं। पर्यावरण व जल संरक्षण आदि विषयों पर गोष्ठी का आयोजन किया जाना चाहिए।
स्वटिप्पणी- यह आश्चर्य की बात है कि हजारों वर्षों से कल-कल करके बहने वाली इस क्षेत्र की बड़ी व छोटी नदियों का अस्तित्व एकाएक समाप्त होने लगा है। फिर भी हम सचेत नहीं हो रहे।