JAMWANT JI (जामवंत जी-42)
February 1, 2022SAPTASAGAR (सप्तसागर-40)
February 1, 2022
पता- यह स्थान पलटूदास जी के अखाड़े के ठीक सामने स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख सड़क किनारे नाली पर लगा हुआ है।
किवदंती- पौराणिक कथाओं के अनुसार मयंद वानरराज द्विविद के भाई थे। यह भी उन्ही के समान वीर एवं बलवान थे।
मान्यता- रामचरितमानस के दोहे में द्विविद जी के साथ इनके नाम का वर्णन मिलता है।
द्विबिद मयंद नील नल अंगद गद बिकटासि।
दधिमुख केहरि निसठ सठ जामवंत बलरासि॥54॥
इस दोहे के अनुसार द्विविद, मयंद, नील, नल, अंगद, गद, विकटास्य, दधिमुख, केसरी, निशठ, शठ और जाम्बवान ये सभी वानरराज इतने वीर एवं शक्तिशाली हैं की इन्हें बल की राशि की संज्ञा दी जाती है।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में यंहा जर्जर हालत में एक छोटा सा मंदिर स्थित है। इन मंदिर में ताला लगा हुआ है और मंदिर के तीनों ओर बने कमरों में किराएदार रहते हैं एवं मन्दिर के सामने दुकानें बन गईं हैं। यह मंदिर भी पलटूदास के अखाड़े के अंतर्गत आता है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों का कहना है कि मंदिर को खोल कर उसकी साफ सफाई कर के पूजा प्रारंभ होनी चाहिए।
स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत