RINNMOCHAN (ऋणमोचन-76)
February 1, 2022KAUSHALYA GHAT (कौशल्या घाट-74)
February 1, 2022
पता- इस स्थान परिक्रमा मार्ग पर ब्रह्मकुण्ड गुरुद्वारे से राजघाट की ओर जाने पर क्रमशः 100 मीटर के अंतराल पर स्थित हैं।
शिलालेख- शिलालेख परिक्रमा मार्ग के पूर्व ओर कटरा मार्ग पर पश्चिम ओर कुछ कुछ दूरी पर असुरक्षित लगे हुए हैं।
किवदंती- अयोध्या महात्यम के अनुसार यह सभी कुण्ड रूपी घाट श्री राम जन्मभूमि के समीप श्री सरयू तट स्थित हैं। क्योंकि की इन सभी रानियों के भवन सरयू तट के इसी स्थान से सबसे अधिक समीप हैं।
मान्यता- मान्यता अनुसार दशरथ जी के काल में यह राजमहल के समीप का घाट था। इन घाटों के सीढियों को मणियों से सजाया गया था। स्वयं महाराज दशरथ जिस घाट पर स्नान करते थे वह घाट राजघाट के नाम से जाना जाता है। जिसका वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में भी किया है।
राजघाट सब बिधि सुंदर बर। मज्जहिं तहाँ बरन चारिउ नर॥
तीर तीर देवन्ह के मंदिर। चहुँ दिसि तिन्ह के उपबन सुंदर॥
अयोध्या में इसी प्रकार मणिपर्वत के ठीक पीछे इसी क्रम में राजा दशरथ एवं उनकी रानियों के कुण्ड भी स्थित हैं।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान में यह सभी कुण्ड पूर्णतया नष्ट हो चुके हैं। मात्र कैकेयी घाट खंडहर के रूप में दिखाई पड़ता है। इसी घाट पर एक छोटा शिलालेख लगा हुआ है। जिस पर इस स्थान को लक्ष्मी कुण्ड बताया गया है। सरयू नदी के किनारे पर बांध बन जाने के कारण अब बारिश में ही सरयू जल यंहा पहुँचता है। परिक्रमा मार्ग से घाटों के निचले तल की गहराई 30 से 40 फिट तक है और आज भी उन किनारों पर अतिप्राचीन अवशेष दिखाई पड़ते हैं। स्थानीय जनों से बातचीत में पता चला यंहा कई बार खुदाई करते समय अतिप्राचीन वस्तुयें प्राप्त होती हैं।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों को इन स्थानों के विषय में कोई जानकारी नहीं है।
स्वटिप्पणी- मेरे मत में इन स्थानों को संरक्षित करने की आवश्यकता है।