YAMSTHAL (यमस्थल -99)
January 31, 2022
CHAKRA HARI (चक्रहरि -98)
January 31, 2022

GUPTA HARIJI (गुप्तहरि -97)

पता- यह स्थान गोप्रतारघाट पर ही दक्षिण दिशा में स्थित है। शिलालेख- इसी एक शिलालेख में क्रमशः गुप्तहरि वा चक्रहरि दोनों स्थान अंकित है। यह शिलालेख मंदिर के मुख्यद्वार पर बाईं ओर स्थापित है। किवदंती- जैसा की गोप्रतारघाट के वर्णन में कहा गया है कि इस घाट पर स्वयं भगवान विष्णु ने गुप्त तप किया था और उसी समय से वंहा गुप्तहरि की पूजा प्रारंभ हुई। वर्तमान समय में इस स्थान पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास में कल्पवास होता है। दूर दूर से साधु-सन्त यंहा आते हैं। वर्तमान स्थिति- वर्तमान में मंदिर की स्थिति अत्यंत जर्जर है। यह स्थान दो मंजिला है। मंदिर के मुख्यद्वार के भीतर सामने अतिप्राचीन चरण पादुका है। मान्यताओं के अनुसार यह पद चिन्ह प्रभु श्री राम के हैं। मन्दिर के गर्भगृह में जाने के लिए चरण पादुका से दाहिनी ओर सीढ़ियों से ऊपर जाना पड़ता है। मंदिर के गर्भगृह में सम्पूर्ण रामदरबार के साथ राधा-कृष्ण जी भी विराजमान हैं साथ में मुख्य रूप से गुप्तहरि जी की प्रतिमा भी स्थापित है। यह प्रतिमा अतिप्राचीन है। अन्य हरियों की तरह यह प्रतिमा भी काले रंग की है। स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थान का अगर शीघ्र ही जीर्णोद्धार नहीं कराया गया। तो यह स्थान कभी भी गिर सकता है।

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