पता- यह स्थान दुग्धेश्वर जी से दक्षिण की ओर लगभग 300 मीटर पर स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख एक खेत में असुरक्षित स्थिति में लगा हुआ है।
किवदंती- लोक मान्यताओं के अनुसार पूर्व काल में जब लोग लम्बी यात्रा से वापस आते थे तो पहले घर और गाँव के बाहर स्थित देव स्थान पर उपासना करते थे। उसके पश्चात गृह या ग्राम में प्रवेश करते थे। इसी मान्यता का अनुसरण करते हुए चौदह वर्षों के वनवास के उपरान्त जब भगवान राम अयोध्या लौटे, तो उससे पूर्व ही इसी स्थान पर उन्होंने भैरव जी की उपासना कर के नगर आगमन किया था।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में इस कुण्ड के आस पास के भू भाग पर अतिक्रमण कर के खेत बना लिया गया है। शिलालेख के पीछे लगभग 50 मीटर की दुरी पर कुण्ड के कुछ हिस्से को चारों ओर से ऊँचा कर के उसमे एक स्थानीय परिवार द्वारा मछली पालन किया जा रहा है।