VIDYA KUND (विद्या कुण्ड-54)
February 1, 2022
SITA KUND (सीताकुण्ड-52)
February 1, 2022

AGNI KUND (अग्नि कुण्ड-53)

पता- यह कुण्ड विद्याकुण्ड चौराहे से सीताकुण्ड की ओर जाने वाले मार्ग पर 100 मीटर आगे जाने पर बायीं ओर स्थित है। शिलालेख- शिलालेख सड़क के किनारे कुण्ड की चारदीवारी से सटा कर लगा हुआ है। किवदंती- अयोध्या महात्यम के अनुसार त्रेता युग में यह कुण्ड रत्नों से सजाया हुआ था। इसके चारों ओर सहस्त्र हरिभक्त ब्राह्मण निवास किया करते थे। अज्ञान,अंधकार एवं पाप का नाश करने वाला यह कुण्ड अग्निकुण्ड के नाम से जाना जाता है। यंही पर वेद पारंगत ब्राह्मणों ने दक्षिणाग्नि, गार्हपत्याग्नि एवं हवनीयाग्नि की स्थापना की थी। मान्यता- मान्यता अनुसार अग्निकुण्ड की वार्षिक यात्रा अगहन कृष्ण प्रतिपद को करनी चाहिए। इससे सभी प्रकार के कष्ट एवं भय दूर होते हैं। वर्तमान स्थिति- कुण्ड की वर्तमान स्थिति बहुत दयनीय है। कुण्ड के चारों ओर बड़ी बड़ी झाड़ियां उगी हुई हैं। कुण्ड की बनावट अत्यधिक सुंदर है। यह कुण्ड सड़क से लगभग 25 फीट गहरा है। कुण्ड को चारों ओर से पक्का बनाया गया है एवं इसके चारों ओर पत्थरों की छोटी बड़ी रेलिंग एवं चारदीवारी बनाई गई है। इसे देखने पर जान पड़ता है कि कुछ वर्ष पूर्व ही इनका पुनः निर्माण कराया गया है परंतु वर्तमान में यह चारों ओर से जर्जर हो चुका है इसकी गिरी हुई चारदीवारी और कूड़े एवं झाड़ियों से पट चुका कुण्ड सरकारी कामों की गुणवत्ता का जीता जागता प्रमाण है। इसे देख कर जान पड़ता है कि अग्नि कुण्ड के जीर्णोद्धार में बहुत ही घटिया किस्म की निर्माण सामग्रियों का प्रयोग हुआ है। स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों का कहना है कि कुछ दिन पूर्व ही प्रशासन द्वारा कुण्ड के पूर्व ओर खुले जिम (व्यायामशाला) का निर्माण कराया गया है, मगर कुण्ड के चारों ओर उगी झाड़ियों में अनेक विषैले कीट एवं जन्तु ने अपना घर बना लिया है। जिसके कारण बहुत कम लोग ही इसके अंदर आते हैं। स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत हूँ। जब मैं अग्निकुण्ड के गेट के भीतर गया तो मैंने खुद एक बहुत बड़े सांप को देखा जिसके भय से मैं और अंदर जाने का साहस नहीं कर पाया।

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