DWIVIDAJI (द्विविद जी-39)
February 1, 2022PINDARAKAJI (पिण्डारक-37)
February 1, 2022
पता- यह स्थान अयोध्या सब्जीमंडी से महाराजा स्कूल की ओर 500 मीटर आगे जाने पर बाएँ ओर पर स्थित है।
शिलालेख- यह शिलालेख मत्तगयन्द जी के मंदिर परिसर में पूर्व दिशा की ओर स्थापित है। शिलालेख पर इनका नाम मत्तगजेंद्र जी अंकित है इन्हें मातगैंड और मत्तगयन्द आदि नामों से भी जाना जाता है।
किवदंती- मत्तगयन्द जी लंकाधिपति विभीषण के पुत्र थे। इनका स्थान कनक भवन से उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है। ये रामकोट के उत्तरी फाटक के प्रधान रक्षक थे।
मान्यता- वर्तमान मान्यता अनुसार मत्तगयन्द जी को अयोध्या के कोतवाल के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है की जब प्रभु श्री राम सरयू नदी में जल समाधि हेतु निकले तो उन्होंने अयोध्या की रक्षा के लिए मत्तगयन्द जी को ही अयोध्या का कोतवाल नियुक्त था। इस स्थान को विक्रमादित्य ने होली के बाद पड़ने वाले मंगलवार को पुनर्स्थापित किया था तब से प्रत्येक वर्ष होली बाद पड़ने वाला मंगलवार को यहाँ मेला भी लगता है
वर्तमान स्थिति- वर्तमान में यंहा पर एक मंदिर स्थित है।
स्वटिप्पणी- मंदिर के विषय में स्थानीय जनों में तथा अयोध्या आने वाले दर्शनार्थियों में जानकारी का अभाव है।इसके प्रचार प्रसार हेतु उचित कदम उठाए जाने चाहिए।