PRAMOD VAN (प्रमोद वन -120)
January 28, 2022BHAIRAVKUND (भैरव कुण्ड -118)
January 28, 2022
पता- अयोध्या-प्रयागराज राजमार्ग पर भरतकुंड से 1 किलोमीटर आगे जाने पर एक टोल पड़ता है, उस टोल को पार करते ही बायीं ओर एक कच्ची सड़क गई है। उसी सड़क पर 1 किलोमीटर पर ग्रामसभा पिपराताल में यह स्थान स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख नदी के पश्चिमी तट पर लगा हुआ है।
किवदंती- रूद्रयामल ग्रंथ में वर्णित है कि भरतकुंड के समीप मानशतीर्थ है और मानशतीर्थ के पूर्व में तमसा नामक नदी बहती है। जिसके तटों पर अनेक ऋषियों ने तपस्या की है।
मान्यता- स्थानीय मान्यताओं के अनुसार वनवास जाते समय प्रभु श्री राम ने यंही से तमसा नदी को पार किया था। जो कि गलत है एवं यंहा के लोगों द्वारा एक कल्पित राम वनगमन मार्ग को भी मान्यता दी जाती है।
( प्राचीन ग्रंथों एवं धार्मिक पुस्तकों में प्रथम रात्रि विश्राम स्थल यंहा से लगभग 8 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। जिसे गौरा घाट के नाम से जाना जाता है। यह स्थान गयासपुर ग्राम में स्थित है।)
वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में इस स्थान पर लगभग 8 वर्षों से कुछ किन्नर समाज के लोग रहने लगे हैं। उन्ही लोगों के द्वारा यंहा पर एक अर्धनारीश्वर शिव जी के मंदिर का निर्माण भी कराया जा है। इनकी प्रमुख महन्त कृष्णा करिश्मा किन्नर देव जी हैं। जो यंही पर रहती भी हैं। स्थानीय निवासी गोकरनदास बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व तक इस स्थान पर माघ पूर्णिमा को मेला लगता था। जो कि अब मकर संक्रांति को लगने लगा है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय जनों का कहना है मुख्य मार्ग से यंहा तक आने के लिए रास्ता बहुत खराब है। उसे बनवाया जाए।
स्वटिप्पणी- स्थनीय जनों से सहमत हूँ। इस स्थान तक पहुंचने में अत्यधिक कठिनाई का अनुभव किया हमने।