JAMBU TIRTH (जम्बू तीर्थ -140)
January 28, 2022SARYU GHAGHRA SANGAM (सरयू घाघरा संगम – 138)
January 28, 2022
पता- यह स्थान गोण्डा जिले के परसपुर बाजार से दक्षिण की ओर जाने वाले मार्ग पर लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर पसका चौराहे पर स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख मंदिर परिसर के बाहर दक्षिण दिशा में लगा हुआ है। शिलालेख के समीप स्थानीय जनों द्वारा मवेशी बांधे जाते हैं। उन मवेशियों के शरीर के रगड़ के कारण शिलालेख घिस गया है। जिससे उस पर लिखे गए अक्षर साफ नहीं दिखाई देते। स्थानीय निवासी राघवेंद्र सिंह जी से निवेदन किया है। उन्होंने शिलालेख को स्थानन्तरित कर के मंदिर परिसर में सुरक्षित लगाने का आश्वासन दिया है।
किवदंती- यह स्थान गोंडा जिले के परसपुर से लगभग १८ किमी दक्षिण वाराह क्षेत्र (सूकर) के रूप में चर्चित है। अयोध्या दर्पण की कथा के मुताबिक इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने पृथ्वी का उद्धार करने के लिए वाराह रूप धारण कर हिरण्याक्ष का वध किया और पुन: पृथ्वी को यथास्थान में स्थापित किया। ग्रंथों में कहा गया है कि जब हिरण्याक्ष नामक असुर ने अपनी तपस्या के बल पर शक्ति प्राप्त कर ली और माता पृथ्वी को अपने कब्जे में ले लिया और उसे छुपा दिया। पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि मच गई। हिरण्याक्ष वाराह क्षेत्र के संगम पर एक स्थान पर छिपकर रहने लगा तो भगवान श्रीहरि विष्णु वाराह (सूकर) रूप में अवतारित हुए और असुर हिरण्याक्ष जहां छिपा हुआ था वहां पहुंच कर घोर संघर्ष किया। अंत में उन्होंने हिरण्याक्ष का वध कर माता पृथ्वी को मुक्त कराया। यहीं पर भगवान वाराह का दिव्य मंदिर है। इसमें भगवान वाराह के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। इसके पहले मंदिर में यहां सोने की भगवान की मूर्ति स्थापित थी।
मान्यता- स्थानीय मान्यताओं में इस स्थान के समीप एक बाराही देवी नाम से प्रसिद्ध स्थान है। स्थानीय जनों से बातचीत करने से यह ज्ञात हुआ कि यंहा एक सुरंग स्थित है और उस सुरंग में कई वर्षों पूर्व तक एक स्थानीय कथा प्रचलित थी कि कभी-कभी रात्रि में इस स्थान पर दिव्य प्रकाश दिखाई देता था एवं दूर से देखने पर वंहा एक देवी के दर्शन होते थे बात में स्थानीय जनों ने इस गुफा में एक दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित कर के उसकी पूजा करने लगे।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान में यह मंदिर बहुत सुंदर बना हुआ है। मंदिर परिसर के बाहर लगे एक शिलालेख के अनुसार इस नवीन मंदिर का लोकार्पण 28 दिसम्बर 2014 को सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह जी के द्वारा किया गया था। स्थनीय जनों से बातचीत करने से पता चला कि मंदिर की मुख्य प्रतिमा कुछ वर्ष पूर्व चोरी गई थी। जिसे बाद में पुलिस द्वारा बरामद कर लिया गया था। वर्तमान में वह गोण्डा जिले के मालखाने में रखी हुई है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थनीय जनों का कहना है कि प्रशासन को मंदिर की प्राचीन प्रतिमा को पुनः स्थापित करवा कर उसकी सुरक्षा का समुचित प्रबंध करना चाहिए।
स्वटिप्पणी- स्थानीय जनों से सहमत एवं चौरासी कोसी परिक्रमार्थियों के ठहरने हेतु टीन शेड की आवश्यकता यंहा भी है।