RAMADURG(RAMKOT)
January 27, 2022VARASROTKUTILA SANGAM (वरस्रोत कुटिला संगम- 147)
January 28, 2022
पता- यह स्थान गोंडा जिले के नवाबगंज बाजार से ढेमवा घाट की ओर जाने वाले मार्ग पर लगभग 2 किलोमीटर जाने पर महंगूपुर गाँव में यह स्थान स्थित है।
शिलालेख- शिलालेख मंदिर के बाहर दाहिनी ओर मंदिर से सटा कर लगा हुआ है।
किवदंती- अयोध्या माहात्म्य के अनुसार इस तीर्थ स्थान पर अष्टावक्र ऋषि के शापभिभूत 1400 राज-कन्यायें कुब्जा दोष (कूबड़) से मुक्त हुईं थीं। उन्हीं कन्याओ के वंश द्वारा कान्यकुब्ज देश विख्यात हुआ।वर्तमान समय में भगवान श्री हरि विष्णु के प्रमुख चौबीस अवतारों में से कपिल मुनि पांचवे अवतार के रूप में माने जाते हैं। यह स्थान उनके आश्रम के रूप में भी प्रसिद्ध है। भगवान विष्णु के इस अवतार को ज्ञानावतार कहा जाता है। सतयुग में ब्रम्हा के मानस पुत्र ऋषि कर्दम तथा उनकी पत्नी देवहुति की तपस्या से प्रसन्न होकर नारायण विष्णु ने ऋषि दम्पति को वरदान दिया की मै पुत्र रूप में तुम्हारे यंहा जन्म लूँगा। कालांतर में ऋषि पत्नी देवहुति के गर्भ से कपिल मुनि का जन्म हुआ।
मान्यता- जनश्रुति के अनुसार लगभग चार सौ वर्ष पूर्व कुटिला सरयू संगम नदी में आई बाढ़ से श्री कपिल मुनि की अनुप्राणित प्रतिमा का अवतरण हुआ।
मान्यता अनुसार माघ मास की मकर सक्रांति को कपिल मुनि का जन्म हुआ था। अतः हर मकर संक्रांति को कपिल मुनि का जन्मोत्सव इस स्थल पर मनाया जाता है। यह उत्सव 9 दिनों तक चलता है। उत्सव के समाप्ति के दिन यंहा विशाल मेले का आयोजन होता है और कपिल मुनि के मंदिर में एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
वर्तमान स्थिति- वर्तमान समय में कपिल मुनि एक शिला के रूप में गाँव के मध्य एक विशाल मंदिर में विराजमान हैं। मंदिर का अभी हाल के वर्षों में बहुत बेहतर एव सुंदर ढंग से पुनः निर्माण करवाया गया है। मंदिर का परिसर बहुत सीमित स्थान में है। मंदिर परिसर में सेवा कार्य दे रहे शरद जी बताते हैं की पूर्व में मंदिर परिसर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था मगर समय के साथ आसपास के लोगों ने मंदिर परिसर के लगभग सम्पूर्ण भू-भाग पर अवैध कब्जा कर लिया है।
स्थानीय लोगों की राय- स्थानीय निवासी वृजेन्द्र नाथ जी का कहना है। मंदिर परिसर पर किये गए अवैध कब्जे को प्रसाशन द्वारा खाली करवाकर उसका सुन्दरीकरण किया जाये।
स्वटिप्पणी- स्थानीय जन से सहमत